28. श्री ए.एन.सहाय, अध्यक्ष-सह-प्रबंध निदेशक,महानदी कोल फील्ड्स लिमिटेड
प्रश्न.1:- आपकी प्रारंभिक पढ़ाई कहाँ से हुई ?
उत्तर:- मैंने बिहार के विभिन्न स्कूलों से अपनी प्राथमिक शिक्षा प्राप्त की,जहां मेरे पिताजी पदस्थ थे।
प्रश्न.2:-आपने प्रथम नौकरी कहाँ से प्रारंभ की ?
उत्तर:- मैंने अपने सेवा जीवन की शुरुआत कोल इंडिया से ही की । आई॰आई॰टी, खड़गपुर से खनन इंजीनियरिंग में स्नातक बनने के तुरंत पश्चात 1976 में मैंने कोल इंडिया में योगदान दिया तथा कोल इंडिया लिमिटेड की रांची स्थित अनुषंगी कंपनी सी॰एम॰पी॰डी॰आई॰एल में मेरी पदस्थापना हुई |
प्रश्न.3:- आपने कहाँ कहाँ विदेश भ्रमण किया है ?
उत्तर:- मुझे कार्यालयीन कार्यवश जर्मनी, फ्रांस, यू.के.पोलैंड, इन्डोनेशिया, फिलिपिंस, यू॰एस॰ए, दक्षिण अफ्रीका, व तंजानिया आदि देशों में भ्रमण करने का अवसर मिला |
प्रश्न.4:- आप एमसीएल में कब आए ?
उत्तर:- मैंने 08 फरवरी,2011 को एमसीएल के अध्यक्ष-सह-प्रबंध निदेशक का पदभार संभाला.
प्रश्न.5:- आए तब एमसीएल का वातावरण कैसा था ?
उत्तर:- एम॰सी॰एल 1992 में अस्तित्व में आई, जब इसका कोयला उत्पादन मात्र 23 मि. टन था |यद्यपि एमसीएल के पास अपार संभावनाएं हैं तथा यह 100 मि. टन से अधिक कोयला उत्पादकों के क्लब में शामिल है फिर भी इसे सर्वोच्च सीमा तक कोयला उत्पादन के लिए अभी लंबा रास्ता तय करना है जिसमें बहुत से मुद्दे बाधक है | मुझे इसकी वृद्धि को कायम रखने के साथ-साथ दूरगामी विकास के नए परिदृश्य सुनिश्चित करने की ज़िम्मेदारी सौंपी गयी है । मैं उत्पादन में सुधार लाने हेतु किये जा रहे प्रयासों एवं कोयला संप्रेषण के परिणाम को संतोषप्रद मानता हूँ। गत वित्तीय वर्ष 2013-14 में हमने 110 मिलियन टन से अधिक कोयले का रिकॉर्ड उत्पादन किया व 114 मिलियन टन से अधिक कोयले का सम्प्रेषण कर एक और नया कीर्तिमान भी स्थापित किया है।
प्रश्न.6:- आपने एमसीएल में क्या विशेष कार्य किया है ?
उत्तर:- ओडिशा के कोयला क्षेत्र एमसीएल में 8 फरवरी 2011 में पदार्पण करने पर हमारे सामने सबसे दो अहम कार्य रहे, पुनर्वास एवं पुनः स्थापन जिन्होंने अपनी जमीन कंपनी को मुहैया कराई। जैसा कि आप जानते है कि भूमि हमारे उत्पादन का मुख्य कारक है और ग्रामवासी अपनी जमीन छोडने हेतु तैयार नहीं थे। वैसी स्थिति में हमने विस्थापितों की समस्याओं को समाधान करने के लिए ओडिशा की पुनर्वास एवं पुनः स्थापन नीति से एक बेहतर नीति अपनाई जिसमें भू-विस्थापित काफी लाभान्वित हुए | इस नवीन नीति के परिणाम स्वरूप कणिहा जैसे नयी खदान का शुभारंभ हो सका | दूसरा कार्य रहा, बसुंधरा से कोयला निकासी की समस्याओं तथा स्टॉक की परिसमापन के लिए आवश्यक मूलभूत तत्व में सुधार लाना |
बसुंधरा-गर्जनबहाल क्षेत्र में कोयला संप्रेषण की एक बहुत बड़ी चुनौती रही है और इससे निजात पाने के लिए हमने अपनी तीसरी अनुषंगी कंपनी महानदी बेसिन पावर लिमिटेड (एमबीपीएल) प्रोजेक्ट कार्यालय का शुभ उदघाटन किया है जो कि 8 हजार करोड़ रुपये की लागत से 1600(2800) मेगावॉट सुपर क्रिटिकल थर्मल पावर नामक विद्युत संयत्र की स्थापना करने जा रही है | आशा है कि उक्त संयंत्र का निर्माण कार्य डेढ़ वर्ष के अंदर प्रारम्भ हो जाएगा। इस पावर प्लांट को कोयले की आपूर्ति बसुंधरा-गर्जनबहाल से की जाएगी जिससे हम कोयले का प्रेषण न करते हुए कोयले को वहीं पर विनियोग कर सकेंगे और कोयले की प्रेषण में कम व्यय से बिजली ट्रांसमिशन हो सकेगा। ओडिशा प्रदेश में कोयले की बढ़ती मांग को ध्यान में रखते हुए हमने ओडिशा पावर ट्रांसमिशन कार्पोरेशन लिमिटेड (ओपीटीसीएल)के साथ संयुक्त उद्यम नीलांचल पावर ट्रांसमिसन प्राइवेट लिमिटेड का गठन किया है। हमने कंपनी की दीर्घकालीन विकास व स्वच्छ पर्यावरण को मद्देनजर उत्पादन की दिशा में भी अनुकरणीय पहल की है। इस कड़ी में एमसीएल की सौर ऊर्जा द्वारा विद्युत उत्पादन हेतु सोलर पैनल लगाए जाने की योजना है। इसके साथ हमने आनंद विहार,बुर्ला में सौर ऊर्जा (Solar Energy) द्वारा बिजली उत्पादन करने की योजना बनाई है जिससे हमारी आंतरिक आवश्यकताओं की पूर्ति होगी |इस विविधता की उपलब्धियों पर हमें गर्व है।
कोयला प्रेषण की चुनौतियों का सफलतापूर्व सामना करने की दिशा में हमने भरतपुर, भुवनेश्वरी, कुलदा, लिंगराज, हिंगुला एवं अनंता साइडिंग में 6 साइलो लोडिंग सिस्टम का आरंभ करने जा रही है।
कोयले की गुणवत्ता बढ़ाने हेतु प्राथम चरण में 10 मिलियन क्षमता वाली चार कोल वाशरी बसुंधरा-गर्जनबहाल, लखनपुर, हिंगुला व जगन्नाथ में निर्माण करने जा रही है | बसुंधरा-गर्जनबहाल व हिंगुला का कार्यादेश जारी हो चुका है। इसके अलावा फेज 2 में लखनपुर में 20 मिलियन टन क्षमता वाली एक और कोल वाशरी का निर्माण होना है। इस प्रकार 60 मिलियन टन क्षमता वाली वाशरी हम कंपनी में जल्दी ही लगा देंगे। क्लीन कोल माइनिंग के तहत शत प्रतिशत बृद्धि दर हासिल करने के लिए अधिक क्षमता का रीपर डोजर का सफलता पूर्वक बेलपहाड़ खुली खदान में लगाया है जिससे हम उत्पादन लक्ष्य को हासिल कर सकेंगे।
प्रश्न.7:- एमसीएल की मुख्य समस्याएँ क्या है ?
उत्तर:- मैं सोचता हूँ कि ऐसा कुछ भी नहीं है, जिसे समस्या कहा जाए, हाँ, कुछ मुद्दे है जो सभी खनन कंपनियों के लिए सामान्य है एवं जिन पर निरंतर कार्य किया जाना है। कोयला खनन वाली कंपनी के लिए भूमि ही प्रमुख आवश्यकता है। स्थानीय अधिवासियों से जमीन का अधिग्रहण, उन्हे समुचित क्षतिपूर्ति का भुगतान एवं सहृदयतापूर्वक उनकी संतुष्टि के अनुसार उनका समुचित पुनर्वास किया जाना आवश्यक है| इसके अलावा कंपनी के लिए कोई निर्णय लेने से पूर्व स्थानीय निवासियों एवं आस-पास के क्षेत्रों के सामाजिक वातावरण की आशा एवं आकांक्षाओं के प्रति शांतिपूर्ण तरीके से ध्यान दिया जाना आवश्यक है। आपको जानकर खुशी होगी कि आर एंड आर योजना के तहत सभी नए नियुक्त भू-विस्थापितों को उनके कौशल का पूर्ण विकास के लिए कंपनी के खर्चे पर आईटीआई समेत अन्य इंस्टीट्यूट में प्रशिक्षण देने की योजना है और प्रशिक्षण के दौरान उन्हें मासिक वेतन भी दिया जाएगा। 2 वर्ष की प्रशिक्षण अवधि समाप्त होने के उपरांत उनके ग्रेड/ट्रेड के मुताबिक उन्हें कार्य में पदस्थापित किया जाएगा। दूसरी चुनौती है कोयले का संप्रेषण,जिसमें गति लाने हेतु हम लोगों ने रेलवे वैगनों में कोयले की लदाई के लिए आधुनिक उपकरणों साइलो की स्थापना, अधिक से अधिक रेलवे साईडिंग का निर्माण एवं कंक्रीट कोल कॉरिडोर का निर्माण का कार्य हाथ में लिया है।
प्रश्न.8:- केंद्र और राज्य के मध्य संपर्क स्थापित करने में एमसीएल की क्या भूमिका है ?
उत्तर:- एमसीएल केंद्रीय सरकार का एक सार्वजनिक उपक्रम है, जो खनन का कार्य करता है। मैं एमसीएल टीम के लिए गर्वित हूँ जो न केवल अपने समर्पित प्रयास की बदौलत देश की ऊर्जा की आवश्यकताओं को पूरा करने की दिशा में सफलतापूर्वक योगदान देते हुए नई ऊंचाइयों को छूआ है बल्कि राजकोष को सर्वाधिक करदाता के रूप में अंशदान भी किया है। एमसीएल ओड़िशा का सर्ववृहत केंद्रीय सरकार का सार्वजनिक उपक्रम होने के नाते स्थानीय जनसमुदाय की निरंतर सेवा के अलावा राज्य के सामाजिक एवं अर्थनैतिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।
प्रश्न.9:- स्थानीय लोगों की उन्नति में एमसीएल की क्या भूमिका है ?
उत्तर:- एम॰सी॰एल अपने गठन के समय से ही आसपास बसे जनसमुदाय के सामाजिक व आर्थिक विकास के लिए कदम उठती रही है। हम लोगों ने एक जनप्रिय सीएसआर नीति के तहत एमसीएल के नियंत्रित क्षेत्रों में समन्वित विकास सुनिश्चित किया हैं। एमसीएल के नियंत्रित क्षेत्रों में गुणवत्ता वाली शिक्षा प्रदान करने हेतु हम लोग 9 डी॰ए॰वी तथा निजी प्रबंधन द्वारा चलाये जा रहे 19 विद्यालयों को वित्तीय सहायता उपलब्ध कराते आ रहे हैं जिसका लाभ एमसीएल के क्षेत्रों के आस-पास रहने वाले लोगों के बच्चों को मिल रहा है |
हम लोग इन्दिरा गांधी इन्स्टीच्युट ऑफ टेक्नोलोजी सरांग, तालचेर को इलेक्ट्रिकल, मैकेनिकल एवं सिविल ब्रांच में डिप्लोमा कोर्स चलाने तथा ओडिशा स्कूल ऑफ माइनिंग इंजीनियरिंग, केओंझर को माइनिंग में डिप्लोमा कोर्स चलाने के लिए अनुवर्ती अनुदान भी प्रदान करते है |
इसके अलावा, हम लोग अपने नियंत्रण क्षेत्र में 01 नर्सिंग स्कूल, 6 अस्पताल, जिसमें दो सौ बिस्तरों वाले अस्पताल हैं तथा 14 औषधालय चलाते हैं | इससे स्थानीय लोगों को सहायता प्राप्त होती है | हम लोगों ने अपने कोयलांचल क्षेत्रों में चिकित्सा शिक्षा सुविधा की वृद्धि की योजना बनाई है | आधारभूत संरचना के विकास, सड़क, पुलिया, पुल, के निर्माण/मरम्मत, स्टेडियम के निर्माण के अलावा आस-पास बसे जनसमुदाय के लिए एमसीएल हेल्थ केयर कैंप के साथ-साथ चिकित्सा जागरूकता कार्यक्रम भी आयोजित करती है। गत गर्मी के दिनो में हम लोगों ने टैंकरों के द्वारा 272 पार्श्ववर्ती गाँव में पेयजल उपलब्ध कराया है। एमसीएल ने सीएसआर के तहत 409 करोड़ रुपए के प्रोजेक्ट की मंजूरी दी है जिसमें से ओड़िशा के पारिपार्श्विक क्षेत्रों के विकास व जनमानस के उत्थान हेतु गत वित्तीय वर्ष 2013-14 में 117 करोड़ रुपए खर्च किए गए है, जो कि सीएसआर के अंतर्गत एक नया कीर्तिमान है। चालू वर्ष अप्रेल से जुलाई 2014 तक सीएसआर के तहत 25 करोड़ रुपए खर्च किए जा चुके है। इसके अतिरिक्त हमने यूनिवर्सिटी चौक से एमसीएल चौक तक सर्विस रोड तथा पावर चैनल ,बुरला पर तीसरा ब्रिज बनाने के लिए 10 करोड़ रुपए की मंजूरी दी है। हमने बुरला वीएसएस मेडिकल कॉलेज व अस्पताल के लिए 4 करोड़ रुपए का सीटी स्कैन मशीन प्रदान किया है। सम्बलपुर शहर की सफाई कार्य के लिए एमसीएल ने बॉब कैट मशीन प्रदान किया है एवं गोल बाजार व लक्ष्मी टाकीज़ चौक में मोबाइल शौचालय का निर्माण करने की योजना है। एमसीएल बुरला में एक अत्याधुनिक स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स निर्माण हेतु 25 करोड़ रुपए की मंजूरी दी है। सम्बलपुर में पर्यटन को बढ़ावा देने हेतु एमसीएल 6.5 करोड़ रुपए की लागत से हीराकुड डेम के जवाहर उद्यान से गांधी मीनार तक रोप वे का निर्माण करने जा रही है। यह कार्य सितंबर माह से चालू हो जाएगा और इसे पूरा करने में एक वर्ष लगेगा। ब्रजराजनगर में जल समस्या के समाधान के लिए पेय जल आपूर्ति के लिए 8 करोड़ रुपए की मंजूरी दी है। हमने बंकिबहाल से कनिका रेलवे साईडिंग तक 4 लेन सड़क के निर्माण हेतु 284 करोड़ रुपए की मंजूरी दी है जो कि ओडिशा सरकार के वर्क्स डिपार्टमेन्ट के माध्यम से कार्य अक्टूबर 2014 तक शुरू होने की आशा है। 384 करोड़ की लागत से हमने बंकिबहाल से भेड़ाबहाल तक 32 किलोमीटर रास्ता की 4 लेन कोल कोरीडोर निर्माण करने की योजना बनाई है । तालचेर कोयलाञ्चल के परिधीय 19 गाँव के लोगों को जल संकट से निजात पाने के लिए एमसीएल ने पाँचवी व शेष किस्त में 3.81 करोड़ रुपए प्रदान किए है। तालचेर में 100 विद्यार्थियों की क्षमता वाले अत्याधुनिक मेडिकल कॉलेज के निर्माण हेतु ओड़िशा सरकार के साथ मार्च 2014 में एक एमओयू हस्ताक्षरित किया है और मौजूदा एनएससीएच तालचेर को 500 बिस्तर वाला अस्पताल बनाने की योजना है ।
प्रश्न.10:- आप कर्मचारियों में भाषा की समस्या कैसे सुलझाते हैं ?
उत्तर:- भारत अपनी कला,संस्कृति एवं भाषाई विविधता के लिए विश्व प्रसिद्ध है एवं हमें गर्व है कि एमसीएल अपने आप में एक लघु भारत है जहां देश की सेवा के लिए देश के कोने-कोने से आए लोग हाथ से हाथ मिलाए कार्यरत हैं | इन सब के बावजूद हम लोगों ने राजभाषा हिन्दी के प्रशिक्षण को प्रोत्साहन दिया है साथ ही संगठन की कार्य संस्कृति में इसके प्रयोग पर बल दिया है।
हमारा संगठन सरकार की राजभाषा नीति के अनुसार “ग” क्षेत्र में अवस्थित होने के बावजूद मैं यह कहना चाहूँगा कि हमारे सभी कार्मिक आपस में हिन्दी में संपर्क साधने में कुशल हैं | हमारे एमसीएल में समर्पित राजभाषा विभाग कार्यरत है जो कामकाज की भाषा के रूप में राजभाषा हिन्दी के विकास के लिए केंद्रीय सरकार के राजभाषा विभाग,कोयला मंत्रालय तथा कोलल इंडिया लिमिटेड के तालमेल से कई कार्यक्रम सफलता पूर्वक आयोजित करता है।
प्रश्न.11:- कर्मचारियों के लिए क्या-क्या कल्याण कार्य किए गए हैं ?
उत्तर:- चूंकि कार्मिक ही विकास के आधार है,एमसीएल में हमेशा उनकी सुविधाओं को उच्च प्राथमिकता दी जाती है | हमारी अधिकांश श्रमशक्ति दूरवर्ती क्षेत्रों में कार्यरत हैं एवं उन्हे सुख-सुविधापूर्ण जीवन बिताने के लिए संरचनात्मक सुविधा मुहैया करने के जरिये हम उनकी असुविधाओं को दूर करने का प्रयास करते हैं। प्रारम्भ में वर्ष 1992 की आवासीय संतुष्टि 55 प्रतिशत थी जिसमें वृद्धि लाते हुए अक्तूबर 2014 में 80 प्रतिशत से अधिक आवासीय संतुष्टि हासिल करने में हम सक्षम हुए हैं जो कि घर से दूर रहकर कार्यरत किसी कर्मी के लिए एक बहुत बड़ी आवश्यकता है | कर्मचारियों के कार्य-क्षेत्र के आस-पास उनकी संतानों के लिए उत्तम शैक्षिक सुविधा, उनके एवं उनके परिवार के लिए बेहतर चिकित्सा सुविधाएं एवं प्रबंधन की ओर से समुचित ध्यान दिया जाना ही एमसीएल परिवार की संतुष्टि की चाभी है।
मानव संसाधन विकास में उल्लेखनीय उपलब्धि के लिए एमसीएल को मुंबई में आयोजित एशिया पेसेफिक एचआरएम कॉंग्रेस 2014 में ग्लोबल एचआर एक्सलेंस एवार्ड 2014 तथा ग्रीनटेक फाउंडेशन की ओर से ग्रीनटेक गोल्ड एवार्ड 2014 से सम्मानित किया गया है एवं एमसीएल सीएमडी को प्लेटिनम एवार्ड 2014 व निदेशक (कार्मिक) श्री पूर्णचन्द्र पाणिग्रही को गोल्ड एवार्ड 2014 से नवाजा गया। मीडिया ग्रुप ब्यूरोक्रेसी टूड़े द्वरा हमारे निदेशक (तकनीकी/योजना एवं परियोजना) श्री जसविनदर पाल सिंह को उत्कृष्ट कार्य निष्पादन के लिए स्टार पीएसयू निदेशक (परियोजना) पुरस्कार से सम्मानित किया गया ।
प्रश्न.12:- एमसीएल खेलों को बढ़ावा देने के लिए क्या करता है ?
उत्तर:- एमसीएल खेलों को बढ़वा देने के लिए कटिबद्ध है एवं इस बाबत एक कारगार योजना बनाई जा रही है। हम कोल इंडिया स्पोर्ट्स प्रमोशन एसोसिएशन (CISPA) के माध्यम से हॉकी एवं चेस खेलों को अपनाने जा रहे हैं। इसी परिपेक्ष में जर्मनी में आयोजित जूनियर वुमेन हॉकी वर्ल्ड कप 2013 में ब्रांज मेडल हासिल करने वाली 4 ओड़िशा की महिला हॉकी खिलाड़ियों (दीपा ग्रेस एक्का, नमिता तपो ,लिलिमा मींज,अनुपा बराल) को एमसीएल की ओर से एक एक लाख रुपए प्रदान किए गए है। तालचेर में मौजूदा ब्लैक डायमंड स्टेडियम के उन्नयन एवं अत्याधुनिक बहुउद्देशीय स्पोर्टिंग सुविधाओं के प्रावधान के लिए एमसीएल ने वित्तीय सहायता प्रदान की है। आगामी 13 से 21 दिसंबर 2014 तक भुवनेश्वर में आयोजित होने वाली अंतर्राष्ट्रीय मैन चैम्पियनशिप ट्रॉफी हॉकी टूर्नामेंट (जिनमें 8 देशों जर्मनी, नीदरलैंड, इंगलेंड, बेल्जियम, पाकिस्तान, अर्जेंटाइना एवं भारत की टीमें भाग लेगी) के आयोजन के लिए एमसीएल मुख्य प्रयोजक के रूप में आगे आई है। टेनिस खिलाड़ी महेश महापात्र अंडर 12 केटेगरी में नंबर एक वरीयता प्राप्त खिलाड़ी को एक लाख रुपए की वित्तीय सहायता प्रदान की है।
प्रश्न.13:- कार्मिकों में अनुशासन की स्थिति कैसी है ?
उत्तर:- एमसीएल के पास एक समर्पित तथा कड़ी मेहनती कार्मिकों की टीम है एवं इस कंपनी का विकास ही इसका प्रमाण है | कंपनी में प्रणालीगत सुधार के साथ निवारक सक्रिय और दंडात्मक सतर्कता गतिविधियों के लिए लोक उद्यम संस्थान द्वारा हैदराबाद में सतर्कता अधिकारियों के सम्मेलन में हमारे मुख्य सतर्कता अधिकारी श्री दीपक श्रीवास्तव, आईएफ़एस को राष्ट्रीय स्तर पर सतर्कता उत्कृष्टता पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इसके अतिरिक्त ई-गवर्नेंस के क्षेत्र में बेहतरीन प्रदर्शन के लिए भुवनेश्वर में आयोजित मेगा आईसीटी इवैंट में एमसीएल को जी2बी केटेगरी में ई-ओड़िशा एवार्ड से नवाजा गया ।
प्रश्न.14:- कोल इंडिया की अनुषंगी कंपनियों में एमसीएल की क्या स्थिति है ?
उत्तर:- मात्र 23 मिलियन तन के कुल कोयला उत्पादन के साथ 03 अप्रेल,1992 को गठित एमसीएल देश के लिए अब निरंतर 100 मिलियन टन से अधिक सूखे ईंधन का उत्पादन करती है | गत वित्तीय वर्ष में हम लोगों ने 110 मिलियन तन से अधिक कोयला का उत्पादन किया है। संक्षेप में, एमसीएल कोल इंडिया लिमिटेड की दूसरी सबसे बड़ी मुनाफा कमानेवाली तथा दूसरी सबसे बड़ी कोयला उत्पादक कंपनी है, जिसका नाम विलासपुर स्थित कोल इंडिया की अनुषंगी कंपनी साउथ इष्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड के बाद आता है |
प्रश्न.15:- उत्पादन बनाये/बढ़ाये रखने में कार्मिकों के लिए क्या प्रोत्साहन योजनाएँ लागू हैं ?
उत्तर:- एमसीएल में उत्पादन एवं उत्पादकता को बनाए रखने के साथ-साथ उसमें बृद्धि लाने हेतु एमसीएल के जेसीसी सदस्यों द्वारा नामित श्रमसंघ के प्रतिनिधियों की सलाह से एक उत्पादकता सुधार योजना नाम की उत्साहवर्धक योजना गैर-अधिशासी कर्मचारियों के लिए लागू की गई है।वर्तमान की संरंचनाओं तथा उसमें आ रही बाधाओं के तहत विभागीय उत्पादन बढ़ाने हेतु कार्यरत मशीनों की उपलब्धता एवं उपयोगिता के लिए यह उत्पादकता सुधार योजना बनाई गई है। यह योजना एमसीएल के विभिन्न कार्य दलों/अनुभागों/विभागों में सामूहिक रूप से दलगत भावना,अपनत्व की भावना तथा सदभावना के साथ उनकी मासिक आय में वृद्धि के साथ-साथ अनुपस्थिति एवं समयोपरि कार्य में कमी लाने हेतु कर्मचारियों को प्रोत्साहित करती है। रिले की अवधि के दौरान उपलब्ध मशीनों के सर्वाधिक उपयोग हेतु ओपन कास्ट एवं अंडरग्राउंड खदानों में कार्यरत मशीनों के ऑपरेटरों को ध्यान में रखते हुए यह योजना बनाई गई है | इस योजना के तहत कर्मचारी किसी निर्धारित मशीन जैसे –ड्रेगलाइन, शोवेल, डंपर, डोजर, ड्रील, सरफेस माइनर, एसडीएल एवं एलएचडी आदि मशीनों में अपनी व्यक्तिगत कार्य निष्पादन स्तर पर सी.एम.पी.डी.आई.एल द्वारा निर्धारित उत्पादन लक्ष्य को हासिल करने के जरिए वेतन से भी अधिक अतिरिक्त आय कर रहे हैं। साथ ही विभिन्न कार्यरत मशीनों के ऑपरेटरों के अतिरिक्त गैर-अधिशासी कर्मचारी जो अपने प्रत्यक्ष या परोक्ष सेवा के जरिए उत्पादन तथा प्रेषण कार्य में सहयोग दे रहे हैं। सीएमपीडीआईएल खदान क्षमता उपलब्धि पर आधारित पीआईएस लब्ध के आधार पर इस योजना के तहत विभिन्न ग्रुप के व्यक्ति के मूल वेतन के स्लेब वार प्रतिशतता हेतु 90% तथा उसके अधिक रोजगार करते हैं।
सर्वाधिक उत्पादन के महीने अर्थात जनवरी 2014, फरवरी 2014 एवं मार्च 2014 के दौरान सर्वश्रेष्ठ ऑपरेटरों एवं उत्पादक गुणों के लिए स्पॉट रेकग्नेशन अवार्ड योजना भी बनाई गई है। सभी गैर अधिशासी कर्मचारियों के लिए बनाई गई योजना के तहत हुई आय को एक खदान स्तरीय समिति के जरिए वितरित की जाती है | जिसका गठन क्षेत्र के मुख्य महाप्रबंधक/महाप्रबंधक के द्वारा खनन, सर्वेक्षण, वित्त एवं कार्मिक विभाग के सदस्यों को लेकर किया गया है तथा इस पर जेसीसी बैठकों में विधिवत चर्चा भी होती है, ताकि एमसीएल की खदानों में विभागीय उत्पादन तथा खदान क्षमता उपयोगिता के दीर्घकालीन विकास की दिशा में कर्मचारियों को कारगार ढंग से प्रेरित किया जा सके।
प्रश्न.16:- कंपनी को नवरत्न मान्यता मिलने का क्या आधार है ?
उत्तर:- गत 05 वर्षों के दौरान शेड्यूल-ए एवं मिनी रत्न केटेगरी-1 के दर्जे में होना तथा 03 अति उत्तम या बहुत अच्छा एमओयु का स्थान प्राप्त करने की सर्वनिम्न आवश्यकता है | एमसीएल का कार्य निष्पादन उत्तम हो रहा है एवं हमें आशा है कि अनेवाले समय में एमसीएल को नवरत्न का दर्जा मिलेगा |
प्रश्न.17:- भविष्य में एमसीएल के लिए आपकी क्या योजना है ?
उत्तर:- अपनी निजी विद्युत आवश्यकता की पूर्ति के लिए सौर ऊर्जा के प्रयोग को बढ़ावा देने के अलावा एमसीएल ने संचालन कार्य में विविधता लाते हुए विद्युत उत्पादन एवं वितरण के क्षेत्र में महत्वपूर्ण कदम उठाया है। एमसीएल अपने नई गठित पूर्ण स्वामित्व वाली अनुषंगी कंपनी महानदी बेसिन पावर लिमिटेड (एमबीपीएल) के तहत ओडिशा के सुंदरगढ़ जिले में 800*2 अर्थात 1600 मेगावाट सुपर क्रिटिकल थर्मल पावर प्लांट की स्थापना करेगी जो न केवल हमारे बसुंधरा-गर्जनबहाल क्षेत्र से कोयला परिवहन के लिए सहायक होगी बल्कि यह सड़क परिवहन जनित प्रदूषण को कम करते हुए विद्युत उत्पादन करेगी। एमसीएल ने विद्युत वितरण के क्षेत्र में भी कार्य करने का प्रयास करते हुए ओडिशा पावर ट्रांसमिसन कार्पोरेशन लिमिटेड (ओपीटीसीएल) के साथ मिलकर एक संयुक्त उद्यम कंपनी नीलांचल पावर ट्रांसमिसन कार्पोरेशन प्राइवेट लिमिटेड का गठन किया है | पर्यावरण की चिंता करने वाली कंपनी के रूप में हम लोगों ने वायु प्रदूषण रोकने के लिए विभिन्न कदम उठाये हैं | मुझे यह बताते हुए प्रसन्नता हो रही है कि एमसीएल ने अपनी ऊर्जा स्टेशन की स्थापना की योजना बनाई है,ताकि नवीकरण स्त्रोत को बढ़ावा दिया जा सके |
प्रश्न.18:- एमसीएल में राजभाषा नीति के अनुपालन की स्थिति कैसी है ?
उत्तर:- एमसीएल में राजभाषा नीति के अंतर्गत सभी अधिनियम, आदेशों एवं निर्देशों का अनुपालन किया जाता है तथा राजभाषा विभाग द्वारा निर्धारित वार्षिक कार्यक्रम के अनुसार लक्ष्य प्राप्ति हेतु निरंतर प्रयास किया जाता है | एमसीएल मुख्यालय के साथ-साथ हर क्षेत्रों में राजभाषा नीतियों के कार्यान्वयन हेतु वार्षिक कैलेंडर बनाए गए हैं,जिसके अनुसार बैठकों एवं कार्यशालाओं का आयोजन किया जाता है। समय-समय पर कोयला मंत्रालय एवं कोल इंडिया लिमिटेड से प्राप्त निर्देशों एवं आदेशों के अनुसार कारवाई की जाती है। राजभाषा नीति के हर बिन्दुओं पर जो कार्यान्वयन किया जाता है वह सराहनीय है |
प्रश्न.19:- राजभाषा विभाग क्या-क्या कार्यक्रम आयोजित करता है ?
उत्तर:- एमसीएल का राजभाषा विभाग हर तिमाही में नियमित रूप से राजभाषा कार्यान्वयन समिति की बैठक, राजभाषा कार्यशाला के आयोजन के अलावा प्रति वर्ष 10 जनवरी को विश्व हिन्दी दिवस एवं 14 सितंबर को हिन्दी दिवस का आयोजन करता है | इसके अतिरिक्त 14 सितंबर से 28 सितंबर तक राजभाषा पखवाड़ा का आयोजन किया जाता है,जिसमें हिन्दी की विभिन्न प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती है | यहाँ तक कि पारिवारिक स्तर पर हिन्दी के प्रयोग बढ़ाने हेतु कार्मिकों की गृहणियों के लिए भी प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती है |
साथ ही 02 दिवसीय कोल इंडिया स्तरीय राजभाषा सेमिनार का आयोजन कर विद्वान संकायों के मार्गदर्शन से कार्मिकों को लाभान्वित कराया जाता है | इसी प्रकार विशेषज्ञों द्वारा यूनिकोड समर्थित हिन्दी कंप्यूटर के साथ साथ हिन्दी के विभिन्न अधिनिक सॉफ्टवेर के प्रशिक्षण कार्यक्रम के आयोजन से कार्मिकों को प्रशिक्षित कराया जाता है ताकि राजभाषा नीति का कार्यान्वयन सुचारु रूप से हो सके। बीच-बीच में 21 दिवसीय अनुवाद प्रशिक्षण कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं, जिसमें केंद्रीय अनुवाद ब्यूरो के विद्वान विशेषज्ञों की निगरानी में कार्मिकों को प्रशिक्षित कर राजभाषा कार्यान्वयन के लिए सक्षम बनाया जाता है।
राजभाषा कार्यान्वयन के माहौल को अनुकूल बनाने हेतु सुविधानुसार राष्ट्रीय वर्ग जैसे कि स्वतन्त्रता दिवस, गणतंत्र दिवस एवं कोल इंडिया तथा एमसीएल के स्थापना दिवस के अवसर पर हिन्दी हास्य कवि सम्मेलन का आयोजन किया जाता है |
एमसीएल संबलपुर नगर स्थित केंद्रीय सरकार के कार्यालयों, उपक्रमों एवं बैंकों के बीच उच्चस्तरीय कार्यालय होने के नाते संबलपुर नगर की राजभाषा कार्यान्वयन समिति का संयोजन भी करती है | इसी क्रम में सरकार की राजभाषा नीति के अनुसार वर्ष में 02 छमाही बैठक क्रमशः जून एवं नवंबर महीने में आयोजित की जाती है |
प्रश्न.1:- आपकी प्रारंभिक पढ़ाई कहाँ से हुई ?
उत्तर:- मैंने बिहार के विभिन्न स्कूलों से अपनी प्राथमिक शिक्षा प्राप्त की,जहां मेरे पिताजी पदस्थ थे।
प्रश्न.2:-आपने प्रथम नौकरी कहाँ से प्रारंभ की ?
उत्तर:- मैंने अपने सेवा जीवन की शुरुआत कोल इंडिया से ही की । आई॰आई॰टी, खड़गपुर से खनन इंजीनियरिंग में स्नातक बनने के तुरंत पश्चात 1976 में मैंने कोल इंडिया में योगदान दिया तथा कोल इंडिया लिमिटेड की रांची स्थित अनुषंगी कंपनी सी॰एम॰पी॰डी॰आई॰एल में मेरी पदस्थापना हुई |
प्रश्न.3:- आपने कहाँ कहाँ विदेश भ्रमण किया है ?
उत्तर:- मुझे कार्यालयीन कार्यवश जर्मनी, फ्रांस, यू.के.पोलैंड, इन्डोनेशिया, फिलिपिंस, यू॰एस॰ए, दक्षिण अफ्रीका, व तंजानिया आदि देशों में भ्रमण करने का अवसर मिला |
प्रश्न.4:- आप एमसीएल में कब आए ?
उत्तर:- मैंने 08 फरवरी,2011 को एमसीएल के अध्यक्ष-सह-प्रबंध निदेशक का पदभार संभाला.
प्रश्न.5:- आए तब एमसीएल का वातावरण कैसा था ?
उत्तर:- एम॰सी॰एल 1992 में अस्तित्व में आई, जब इसका कोयला उत्पादन मात्र 23 मि. टन था |यद्यपि एमसीएल के पास अपार संभावनाएं हैं तथा यह 100 मि. टन से अधिक कोयला उत्पादकों के क्लब में शामिल है फिर भी इसे सर्वोच्च सीमा तक कोयला उत्पादन के लिए अभी लंबा रास्ता तय करना है जिसमें बहुत से मुद्दे बाधक है | मुझे इसकी वृद्धि को कायम रखने के साथ-साथ दूरगामी विकास के नए परिदृश्य सुनिश्चित करने की ज़िम्मेदारी सौंपी गयी है । मैं उत्पादन में सुधार लाने हेतु किये जा रहे प्रयासों एवं कोयला संप्रेषण के परिणाम को संतोषप्रद मानता हूँ। गत वित्तीय वर्ष 2013-14 में हमने 110 मिलियन टन से अधिक कोयले का रिकॉर्ड उत्पादन किया व 114 मिलियन टन से अधिक कोयले का सम्प्रेषण कर एक और नया कीर्तिमान भी स्थापित किया है।
प्रश्न.6:- आपने एमसीएल में क्या विशेष कार्य किया है ?
उत्तर:- ओडिशा के कोयला क्षेत्र एमसीएल में 8 फरवरी 2011 में पदार्पण करने पर हमारे सामने सबसे दो अहम कार्य रहे, पुनर्वास एवं पुनः स्थापन जिन्होंने अपनी जमीन कंपनी को मुहैया कराई। जैसा कि आप जानते है कि भूमि हमारे उत्पादन का मुख्य कारक है और ग्रामवासी अपनी जमीन छोडने हेतु तैयार नहीं थे। वैसी स्थिति में हमने विस्थापितों की समस्याओं को समाधान करने के लिए ओडिशा की पुनर्वास एवं पुनः स्थापन नीति से एक बेहतर नीति अपनाई जिसमें भू-विस्थापित काफी लाभान्वित हुए | इस नवीन नीति के परिणाम स्वरूप कणिहा जैसे नयी खदान का शुभारंभ हो सका | दूसरा कार्य रहा, बसुंधरा से कोयला निकासी की समस्याओं तथा स्टॉक की परिसमापन के लिए आवश्यक मूलभूत तत्व में सुधार लाना |
बसुंधरा-गर्जनबहाल क्षेत्र में कोयला संप्रेषण की एक बहुत बड़ी चुनौती रही है और इससे निजात पाने के लिए हमने अपनी तीसरी अनुषंगी कंपनी महानदी बेसिन पावर लिमिटेड (एमबीपीएल) प्रोजेक्ट कार्यालय का शुभ उदघाटन किया है जो कि 8 हजार करोड़ रुपये की लागत से 1600(2800) मेगावॉट सुपर क्रिटिकल थर्मल पावर नामक विद्युत संयत्र की स्थापना करने जा रही है | आशा है कि उक्त संयंत्र का निर्माण कार्य डेढ़ वर्ष के अंदर प्रारम्भ हो जाएगा। इस पावर प्लांट को कोयले की आपूर्ति बसुंधरा-गर्जनबहाल से की जाएगी जिससे हम कोयले का प्रेषण न करते हुए कोयले को वहीं पर विनियोग कर सकेंगे और कोयले की प्रेषण में कम व्यय से बिजली ट्रांसमिशन हो सकेगा। ओडिशा प्रदेश में कोयले की बढ़ती मांग को ध्यान में रखते हुए हमने ओडिशा पावर ट्रांसमिशन कार्पोरेशन लिमिटेड (ओपीटीसीएल)के साथ संयुक्त उद्यम नीलांचल पावर ट्रांसमिसन प्राइवेट लिमिटेड का गठन किया है। हमने कंपनी की दीर्घकालीन विकास व स्वच्छ पर्यावरण को मद्देनजर उत्पादन की दिशा में भी अनुकरणीय पहल की है। इस कड़ी में एमसीएल की सौर ऊर्जा द्वारा विद्युत उत्पादन हेतु सोलर पैनल लगाए जाने की योजना है। इसके साथ हमने आनंद विहार,बुर्ला में सौर ऊर्जा (Solar Energy) द्वारा बिजली उत्पादन करने की योजना बनाई है जिससे हमारी आंतरिक आवश्यकताओं की पूर्ति होगी |इस विविधता की उपलब्धियों पर हमें गर्व है।
कोयला प्रेषण की चुनौतियों का सफलतापूर्व सामना करने की दिशा में हमने भरतपुर, भुवनेश्वरी, कुलदा, लिंगराज, हिंगुला एवं अनंता साइडिंग में 6 साइलो लोडिंग सिस्टम का आरंभ करने जा रही है।
कोयले की गुणवत्ता बढ़ाने हेतु प्राथम चरण में 10 मिलियन क्षमता वाली चार कोल वाशरी बसुंधरा-गर्जनबहाल, लखनपुर, हिंगुला व जगन्नाथ में निर्माण करने जा रही है | बसुंधरा-गर्जनबहाल व हिंगुला का कार्यादेश जारी हो चुका है। इसके अलावा फेज 2 में लखनपुर में 20 मिलियन टन क्षमता वाली एक और कोल वाशरी का निर्माण होना है। इस प्रकार 60 मिलियन टन क्षमता वाली वाशरी हम कंपनी में जल्दी ही लगा देंगे। क्लीन कोल माइनिंग के तहत शत प्रतिशत बृद्धि दर हासिल करने के लिए अधिक क्षमता का रीपर डोजर का सफलता पूर्वक बेलपहाड़ खुली खदान में लगाया है जिससे हम उत्पादन लक्ष्य को हासिल कर सकेंगे।
प्रश्न.7:- एमसीएल की मुख्य समस्याएँ क्या है ?
उत्तर:- मैं सोचता हूँ कि ऐसा कुछ भी नहीं है, जिसे समस्या कहा जाए, हाँ, कुछ मुद्दे है जो सभी खनन कंपनियों के लिए सामान्य है एवं जिन पर निरंतर कार्य किया जाना है। कोयला खनन वाली कंपनी के लिए भूमि ही प्रमुख आवश्यकता है। स्थानीय अधिवासियों से जमीन का अधिग्रहण, उन्हे समुचित क्षतिपूर्ति का भुगतान एवं सहृदयतापूर्वक उनकी संतुष्टि के अनुसार उनका समुचित पुनर्वास किया जाना आवश्यक है| इसके अलावा कंपनी के लिए कोई निर्णय लेने से पूर्व स्थानीय निवासियों एवं आस-पास के क्षेत्रों के सामाजिक वातावरण की आशा एवं आकांक्षाओं के प्रति शांतिपूर्ण तरीके से ध्यान दिया जाना आवश्यक है। आपको जानकर खुशी होगी कि आर एंड आर योजना के तहत सभी नए नियुक्त भू-विस्थापितों को उनके कौशल का पूर्ण विकास के लिए कंपनी के खर्चे पर आईटीआई समेत अन्य इंस्टीट्यूट में प्रशिक्षण देने की योजना है और प्रशिक्षण के दौरान उन्हें मासिक वेतन भी दिया जाएगा। 2 वर्ष की प्रशिक्षण अवधि समाप्त होने के उपरांत उनके ग्रेड/ट्रेड के मुताबिक उन्हें कार्य में पदस्थापित किया जाएगा। दूसरी चुनौती है कोयले का संप्रेषण,जिसमें गति लाने हेतु हम लोगों ने रेलवे वैगनों में कोयले की लदाई के लिए आधुनिक उपकरणों साइलो की स्थापना, अधिक से अधिक रेलवे साईडिंग का निर्माण एवं कंक्रीट कोल कॉरिडोर का निर्माण का कार्य हाथ में लिया है।
प्रश्न.8:- केंद्र और राज्य के मध्य संपर्क स्थापित करने में एमसीएल की क्या भूमिका है ?
उत्तर:- एमसीएल केंद्रीय सरकार का एक सार्वजनिक उपक्रम है, जो खनन का कार्य करता है। मैं एमसीएल टीम के लिए गर्वित हूँ जो न केवल अपने समर्पित प्रयास की बदौलत देश की ऊर्जा की आवश्यकताओं को पूरा करने की दिशा में सफलतापूर्वक योगदान देते हुए नई ऊंचाइयों को छूआ है बल्कि राजकोष को सर्वाधिक करदाता के रूप में अंशदान भी किया है। एमसीएल ओड़िशा का सर्ववृहत केंद्रीय सरकार का सार्वजनिक उपक्रम होने के नाते स्थानीय जनसमुदाय की निरंतर सेवा के अलावा राज्य के सामाजिक एवं अर्थनैतिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।
प्रश्न.9:- स्थानीय लोगों की उन्नति में एमसीएल की क्या भूमिका है ?
उत्तर:- एम॰सी॰एल अपने गठन के समय से ही आसपास बसे जनसमुदाय के सामाजिक व आर्थिक विकास के लिए कदम उठती रही है। हम लोगों ने एक जनप्रिय सीएसआर नीति के तहत एमसीएल के नियंत्रित क्षेत्रों में समन्वित विकास सुनिश्चित किया हैं। एमसीएल के नियंत्रित क्षेत्रों में गुणवत्ता वाली शिक्षा प्रदान करने हेतु हम लोग 9 डी॰ए॰वी तथा निजी प्रबंधन द्वारा चलाये जा रहे 19 विद्यालयों को वित्तीय सहायता उपलब्ध कराते आ रहे हैं जिसका लाभ एमसीएल के क्षेत्रों के आस-पास रहने वाले लोगों के बच्चों को मिल रहा है |
हम लोग इन्दिरा गांधी इन्स्टीच्युट ऑफ टेक्नोलोजी सरांग, तालचेर को इलेक्ट्रिकल, मैकेनिकल एवं सिविल ब्रांच में डिप्लोमा कोर्स चलाने तथा ओडिशा स्कूल ऑफ माइनिंग इंजीनियरिंग, केओंझर को माइनिंग में डिप्लोमा कोर्स चलाने के लिए अनुवर्ती अनुदान भी प्रदान करते है |
इसके अलावा, हम लोग अपने नियंत्रण क्षेत्र में 01 नर्सिंग स्कूल, 6 अस्पताल, जिसमें दो सौ बिस्तरों वाले अस्पताल हैं तथा 14 औषधालय चलाते हैं | इससे स्थानीय लोगों को सहायता प्राप्त होती है | हम लोगों ने अपने कोयलांचल क्षेत्रों में चिकित्सा शिक्षा सुविधा की वृद्धि की योजना बनाई है | आधारभूत संरचना के विकास, सड़क, पुलिया, पुल, के निर्माण/मरम्मत, स्टेडियम के निर्माण के अलावा आस-पास बसे जनसमुदाय के लिए एमसीएल हेल्थ केयर कैंप के साथ-साथ चिकित्सा जागरूकता कार्यक्रम भी आयोजित करती है। गत गर्मी के दिनो में हम लोगों ने टैंकरों के द्वारा 272 पार्श्ववर्ती गाँव में पेयजल उपलब्ध कराया है। एमसीएल ने सीएसआर के तहत 409 करोड़ रुपए के प्रोजेक्ट की मंजूरी दी है जिसमें से ओड़िशा के पारिपार्श्विक क्षेत्रों के विकास व जनमानस के उत्थान हेतु गत वित्तीय वर्ष 2013-14 में 117 करोड़ रुपए खर्च किए गए है, जो कि सीएसआर के अंतर्गत एक नया कीर्तिमान है। चालू वर्ष अप्रेल से जुलाई 2014 तक सीएसआर के तहत 25 करोड़ रुपए खर्च किए जा चुके है। इसके अतिरिक्त हमने यूनिवर्सिटी चौक से एमसीएल चौक तक सर्विस रोड तथा पावर चैनल ,बुरला पर तीसरा ब्रिज बनाने के लिए 10 करोड़ रुपए की मंजूरी दी है। हमने बुरला वीएसएस मेडिकल कॉलेज व अस्पताल के लिए 4 करोड़ रुपए का सीटी स्कैन मशीन प्रदान किया है। सम्बलपुर शहर की सफाई कार्य के लिए एमसीएल ने बॉब कैट मशीन प्रदान किया है एवं गोल बाजार व लक्ष्मी टाकीज़ चौक में मोबाइल शौचालय का निर्माण करने की योजना है। एमसीएल बुरला में एक अत्याधुनिक स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स निर्माण हेतु 25 करोड़ रुपए की मंजूरी दी है। सम्बलपुर में पर्यटन को बढ़ावा देने हेतु एमसीएल 6.5 करोड़ रुपए की लागत से हीराकुड डेम के जवाहर उद्यान से गांधी मीनार तक रोप वे का निर्माण करने जा रही है। यह कार्य सितंबर माह से चालू हो जाएगा और इसे पूरा करने में एक वर्ष लगेगा। ब्रजराजनगर में जल समस्या के समाधान के लिए पेय जल आपूर्ति के लिए 8 करोड़ रुपए की मंजूरी दी है। हमने बंकिबहाल से कनिका रेलवे साईडिंग तक 4 लेन सड़क के निर्माण हेतु 284 करोड़ रुपए की मंजूरी दी है जो कि ओडिशा सरकार के वर्क्स डिपार्टमेन्ट के माध्यम से कार्य अक्टूबर 2014 तक शुरू होने की आशा है। 384 करोड़ की लागत से हमने बंकिबहाल से भेड़ाबहाल तक 32 किलोमीटर रास्ता की 4 लेन कोल कोरीडोर निर्माण करने की योजना बनाई है । तालचेर कोयलाञ्चल के परिधीय 19 गाँव के लोगों को जल संकट से निजात पाने के लिए एमसीएल ने पाँचवी व शेष किस्त में 3.81 करोड़ रुपए प्रदान किए है। तालचेर में 100 विद्यार्थियों की क्षमता वाले अत्याधुनिक मेडिकल कॉलेज के निर्माण हेतु ओड़िशा सरकार के साथ मार्च 2014 में एक एमओयू हस्ताक्षरित किया है और मौजूदा एनएससीएच तालचेर को 500 बिस्तर वाला अस्पताल बनाने की योजना है ।
प्रश्न.10:- आप कर्मचारियों में भाषा की समस्या कैसे सुलझाते हैं ?
उत्तर:- भारत अपनी कला,संस्कृति एवं भाषाई विविधता के लिए विश्व प्रसिद्ध है एवं हमें गर्व है कि एमसीएल अपने आप में एक लघु भारत है जहां देश की सेवा के लिए देश के कोने-कोने से आए लोग हाथ से हाथ मिलाए कार्यरत हैं | इन सब के बावजूद हम लोगों ने राजभाषा हिन्दी के प्रशिक्षण को प्रोत्साहन दिया है साथ ही संगठन की कार्य संस्कृति में इसके प्रयोग पर बल दिया है।
हमारा संगठन सरकार की राजभाषा नीति के अनुसार “ग” क्षेत्र में अवस्थित होने के बावजूद मैं यह कहना चाहूँगा कि हमारे सभी कार्मिक आपस में हिन्दी में संपर्क साधने में कुशल हैं | हमारे एमसीएल में समर्पित राजभाषा विभाग कार्यरत है जो कामकाज की भाषा के रूप में राजभाषा हिन्दी के विकास के लिए केंद्रीय सरकार के राजभाषा विभाग,कोयला मंत्रालय तथा कोलल इंडिया लिमिटेड के तालमेल से कई कार्यक्रम सफलता पूर्वक आयोजित करता है।
प्रश्न.11:- कर्मचारियों के लिए क्या-क्या कल्याण कार्य किए गए हैं ?
उत्तर:- चूंकि कार्मिक ही विकास के आधार है,एमसीएल में हमेशा उनकी सुविधाओं को उच्च प्राथमिकता दी जाती है | हमारी अधिकांश श्रमशक्ति दूरवर्ती क्षेत्रों में कार्यरत हैं एवं उन्हे सुख-सुविधापूर्ण जीवन बिताने के लिए संरचनात्मक सुविधा मुहैया करने के जरिये हम उनकी असुविधाओं को दूर करने का प्रयास करते हैं। प्रारम्भ में वर्ष 1992 की आवासीय संतुष्टि 55 प्रतिशत थी जिसमें वृद्धि लाते हुए अक्तूबर 2014 में 80 प्रतिशत से अधिक आवासीय संतुष्टि हासिल करने में हम सक्षम हुए हैं जो कि घर से दूर रहकर कार्यरत किसी कर्मी के लिए एक बहुत बड़ी आवश्यकता है | कर्मचारियों के कार्य-क्षेत्र के आस-पास उनकी संतानों के लिए उत्तम शैक्षिक सुविधा, उनके एवं उनके परिवार के लिए बेहतर चिकित्सा सुविधाएं एवं प्रबंधन की ओर से समुचित ध्यान दिया जाना ही एमसीएल परिवार की संतुष्टि की चाभी है।
मानव संसाधन विकास में उल्लेखनीय उपलब्धि के लिए एमसीएल को मुंबई में आयोजित एशिया पेसेफिक एचआरएम कॉंग्रेस 2014 में ग्लोबल एचआर एक्सलेंस एवार्ड 2014 तथा ग्रीनटेक फाउंडेशन की ओर से ग्रीनटेक गोल्ड एवार्ड 2014 से सम्मानित किया गया है एवं एमसीएल सीएमडी को प्लेटिनम एवार्ड 2014 व निदेशक (कार्मिक) श्री पूर्णचन्द्र पाणिग्रही को गोल्ड एवार्ड 2014 से नवाजा गया। मीडिया ग्रुप ब्यूरोक्रेसी टूड़े द्वरा हमारे निदेशक (तकनीकी/योजना एवं परियोजना) श्री जसविनदर पाल सिंह को उत्कृष्ट कार्य निष्पादन के लिए स्टार पीएसयू निदेशक (परियोजना) पुरस्कार से सम्मानित किया गया ।
प्रश्न.12:- एमसीएल खेलों को बढ़ावा देने के लिए क्या करता है ?
उत्तर:- एमसीएल खेलों को बढ़वा देने के लिए कटिबद्ध है एवं इस बाबत एक कारगार योजना बनाई जा रही है। हम कोल इंडिया स्पोर्ट्स प्रमोशन एसोसिएशन (CISPA) के माध्यम से हॉकी एवं चेस खेलों को अपनाने जा रहे हैं। इसी परिपेक्ष में जर्मनी में आयोजित जूनियर वुमेन हॉकी वर्ल्ड कप 2013 में ब्रांज मेडल हासिल करने वाली 4 ओड़िशा की महिला हॉकी खिलाड़ियों (दीपा ग्रेस एक्का, नमिता तपो ,लिलिमा मींज,अनुपा बराल) को एमसीएल की ओर से एक एक लाख रुपए प्रदान किए गए है। तालचेर में मौजूदा ब्लैक डायमंड स्टेडियम के उन्नयन एवं अत्याधुनिक बहुउद्देशीय स्पोर्टिंग सुविधाओं के प्रावधान के लिए एमसीएल ने वित्तीय सहायता प्रदान की है। आगामी 13 से 21 दिसंबर 2014 तक भुवनेश्वर में आयोजित होने वाली अंतर्राष्ट्रीय मैन चैम्पियनशिप ट्रॉफी हॉकी टूर्नामेंट (जिनमें 8 देशों जर्मनी, नीदरलैंड, इंगलेंड, बेल्जियम, पाकिस्तान, अर्जेंटाइना एवं भारत की टीमें भाग लेगी) के आयोजन के लिए एमसीएल मुख्य प्रयोजक के रूप में आगे आई है। टेनिस खिलाड़ी महेश महापात्र अंडर 12 केटेगरी में नंबर एक वरीयता प्राप्त खिलाड़ी को एक लाख रुपए की वित्तीय सहायता प्रदान की है।
प्रश्न.13:- कार्मिकों में अनुशासन की स्थिति कैसी है ?
उत्तर:- एमसीएल के पास एक समर्पित तथा कड़ी मेहनती कार्मिकों की टीम है एवं इस कंपनी का विकास ही इसका प्रमाण है | कंपनी में प्रणालीगत सुधार के साथ निवारक सक्रिय और दंडात्मक सतर्कता गतिविधियों के लिए लोक उद्यम संस्थान द्वारा हैदराबाद में सतर्कता अधिकारियों के सम्मेलन में हमारे मुख्य सतर्कता अधिकारी श्री दीपक श्रीवास्तव, आईएफ़एस को राष्ट्रीय स्तर पर सतर्कता उत्कृष्टता पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इसके अतिरिक्त ई-गवर्नेंस के क्षेत्र में बेहतरीन प्रदर्शन के लिए भुवनेश्वर में आयोजित मेगा आईसीटी इवैंट में एमसीएल को जी2बी केटेगरी में ई-ओड़िशा एवार्ड से नवाजा गया ।
प्रश्न.14:- कोल इंडिया की अनुषंगी कंपनियों में एमसीएल की क्या स्थिति है ?
उत्तर:- मात्र 23 मिलियन तन के कुल कोयला उत्पादन के साथ 03 अप्रेल,1992 को गठित एमसीएल देश के लिए अब निरंतर 100 मिलियन टन से अधिक सूखे ईंधन का उत्पादन करती है | गत वित्तीय वर्ष में हम लोगों ने 110 मिलियन तन से अधिक कोयला का उत्पादन किया है। संक्षेप में, एमसीएल कोल इंडिया लिमिटेड की दूसरी सबसे बड़ी मुनाफा कमानेवाली तथा दूसरी सबसे बड़ी कोयला उत्पादक कंपनी है, जिसका नाम विलासपुर स्थित कोल इंडिया की अनुषंगी कंपनी साउथ इष्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड के बाद आता है |
प्रश्न.15:- उत्पादन बनाये/बढ़ाये रखने में कार्मिकों के लिए क्या प्रोत्साहन योजनाएँ लागू हैं ?
उत्तर:- एमसीएल में उत्पादन एवं उत्पादकता को बनाए रखने के साथ-साथ उसमें बृद्धि लाने हेतु एमसीएल के जेसीसी सदस्यों द्वारा नामित श्रमसंघ के प्रतिनिधियों की सलाह से एक उत्पादकता सुधार योजना नाम की उत्साहवर्धक योजना गैर-अधिशासी कर्मचारियों के लिए लागू की गई है।वर्तमान की संरंचनाओं तथा उसमें आ रही बाधाओं के तहत विभागीय उत्पादन बढ़ाने हेतु कार्यरत मशीनों की उपलब्धता एवं उपयोगिता के लिए यह उत्पादकता सुधार योजना बनाई गई है। यह योजना एमसीएल के विभिन्न कार्य दलों/अनुभागों/विभागों में सामूहिक रूप से दलगत भावना,अपनत्व की भावना तथा सदभावना के साथ उनकी मासिक आय में वृद्धि के साथ-साथ अनुपस्थिति एवं समयोपरि कार्य में कमी लाने हेतु कर्मचारियों को प्रोत्साहित करती है। रिले की अवधि के दौरान उपलब्ध मशीनों के सर्वाधिक उपयोग हेतु ओपन कास्ट एवं अंडरग्राउंड खदानों में कार्यरत मशीनों के ऑपरेटरों को ध्यान में रखते हुए यह योजना बनाई गई है | इस योजना के तहत कर्मचारी किसी निर्धारित मशीन जैसे –ड्रेगलाइन, शोवेल, डंपर, डोजर, ड्रील, सरफेस माइनर, एसडीएल एवं एलएचडी आदि मशीनों में अपनी व्यक्तिगत कार्य निष्पादन स्तर पर सी.एम.पी.डी.आई.एल द्वारा निर्धारित उत्पादन लक्ष्य को हासिल करने के जरिए वेतन से भी अधिक अतिरिक्त आय कर रहे हैं। साथ ही विभिन्न कार्यरत मशीनों के ऑपरेटरों के अतिरिक्त गैर-अधिशासी कर्मचारी जो अपने प्रत्यक्ष या परोक्ष सेवा के जरिए उत्पादन तथा प्रेषण कार्य में सहयोग दे रहे हैं। सीएमपीडीआईएल खदान क्षमता उपलब्धि पर आधारित पीआईएस लब्ध के आधार पर इस योजना के तहत विभिन्न ग्रुप के व्यक्ति के मूल वेतन के स्लेब वार प्रतिशतता हेतु 90% तथा उसके अधिक रोजगार करते हैं।
सर्वाधिक उत्पादन के महीने अर्थात जनवरी 2014, फरवरी 2014 एवं मार्च 2014 के दौरान सर्वश्रेष्ठ ऑपरेटरों एवं उत्पादक गुणों के लिए स्पॉट रेकग्नेशन अवार्ड योजना भी बनाई गई है। सभी गैर अधिशासी कर्मचारियों के लिए बनाई गई योजना के तहत हुई आय को एक खदान स्तरीय समिति के जरिए वितरित की जाती है | जिसका गठन क्षेत्र के मुख्य महाप्रबंधक/महाप्रबंधक के द्वारा खनन, सर्वेक्षण, वित्त एवं कार्मिक विभाग के सदस्यों को लेकर किया गया है तथा इस पर जेसीसी बैठकों में विधिवत चर्चा भी होती है, ताकि एमसीएल की खदानों में विभागीय उत्पादन तथा खदान क्षमता उपयोगिता के दीर्घकालीन विकास की दिशा में कर्मचारियों को कारगार ढंग से प्रेरित किया जा सके।
प्रश्न.16:- कंपनी को नवरत्न मान्यता मिलने का क्या आधार है ?
उत्तर:- गत 05 वर्षों के दौरान शेड्यूल-ए एवं मिनी रत्न केटेगरी-1 के दर्जे में होना तथा 03 अति उत्तम या बहुत अच्छा एमओयु का स्थान प्राप्त करने की सर्वनिम्न आवश्यकता है | एमसीएल का कार्य निष्पादन उत्तम हो रहा है एवं हमें आशा है कि अनेवाले समय में एमसीएल को नवरत्न का दर्जा मिलेगा |
प्रश्न.17:- भविष्य में एमसीएल के लिए आपकी क्या योजना है ?
उत्तर:- अपनी निजी विद्युत आवश्यकता की पूर्ति के लिए सौर ऊर्जा के प्रयोग को बढ़ावा देने के अलावा एमसीएल ने संचालन कार्य में विविधता लाते हुए विद्युत उत्पादन एवं वितरण के क्षेत्र में महत्वपूर्ण कदम उठाया है। एमसीएल अपने नई गठित पूर्ण स्वामित्व वाली अनुषंगी कंपनी महानदी बेसिन पावर लिमिटेड (एमबीपीएल) के तहत ओडिशा के सुंदरगढ़ जिले में 800*2 अर्थात 1600 मेगावाट सुपर क्रिटिकल थर्मल पावर प्लांट की स्थापना करेगी जो न केवल हमारे बसुंधरा-गर्जनबहाल क्षेत्र से कोयला परिवहन के लिए सहायक होगी बल्कि यह सड़क परिवहन जनित प्रदूषण को कम करते हुए विद्युत उत्पादन करेगी। एमसीएल ने विद्युत वितरण के क्षेत्र में भी कार्य करने का प्रयास करते हुए ओडिशा पावर ट्रांसमिसन कार्पोरेशन लिमिटेड (ओपीटीसीएल) के साथ मिलकर एक संयुक्त उद्यम कंपनी नीलांचल पावर ट्रांसमिसन कार्पोरेशन प्राइवेट लिमिटेड का गठन किया है | पर्यावरण की चिंता करने वाली कंपनी के रूप में हम लोगों ने वायु प्रदूषण रोकने के लिए विभिन्न कदम उठाये हैं | मुझे यह बताते हुए प्रसन्नता हो रही है कि एमसीएल ने अपनी ऊर्जा स्टेशन की स्थापना की योजना बनाई है,ताकि नवीकरण स्त्रोत को बढ़ावा दिया जा सके |
प्रश्न.18:- एमसीएल में राजभाषा नीति के अनुपालन की स्थिति कैसी है ?
उत्तर:- एमसीएल में राजभाषा नीति के अंतर्गत सभी अधिनियम, आदेशों एवं निर्देशों का अनुपालन किया जाता है तथा राजभाषा विभाग द्वारा निर्धारित वार्षिक कार्यक्रम के अनुसार लक्ष्य प्राप्ति हेतु निरंतर प्रयास किया जाता है | एमसीएल मुख्यालय के साथ-साथ हर क्षेत्रों में राजभाषा नीतियों के कार्यान्वयन हेतु वार्षिक कैलेंडर बनाए गए हैं,जिसके अनुसार बैठकों एवं कार्यशालाओं का आयोजन किया जाता है। समय-समय पर कोयला मंत्रालय एवं कोल इंडिया लिमिटेड से प्राप्त निर्देशों एवं आदेशों के अनुसार कारवाई की जाती है। राजभाषा नीति के हर बिन्दुओं पर जो कार्यान्वयन किया जाता है वह सराहनीय है |
प्रश्न.19:- राजभाषा विभाग क्या-क्या कार्यक्रम आयोजित करता है ?
उत्तर:- एमसीएल का राजभाषा विभाग हर तिमाही में नियमित रूप से राजभाषा कार्यान्वयन समिति की बैठक, राजभाषा कार्यशाला के आयोजन के अलावा प्रति वर्ष 10 जनवरी को विश्व हिन्दी दिवस एवं 14 सितंबर को हिन्दी दिवस का आयोजन करता है | इसके अतिरिक्त 14 सितंबर से 28 सितंबर तक राजभाषा पखवाड़ा का आयोजन किया जाता है,जिसमें हिन्दी की विभिन्न प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती है | यहाँ तक कि पारिवारिक स्तर पर हिन्दी के प्रयोग बढ़ाने हेतु कार्मिकों की गृहणियों के लिए भी प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती है |
साथ ही 02 दिवसीय कोल इंडिया स्तरीय राजभाषा सेमिनार का आयोजन कर विद्वान संकायों के मार्गदर्शन से कार्मिकों को लाभान्वित कराया जाता है | इसी प्रकार विशेषज्ञों द्वारा यूनिकोड समर्थित हिन्दी कंप्यूटर के साथ साथ हिन्दी के विभिन्न अधिनिक सॉफ्टवेर के प्रशिक्षण कार्यक्रम के आयोजन से कार्मिकों को प्रशिक्षित कराया जाता है ताकि राजभाषा नीति का कार्यान्वयन सुचारु रूप से हो सके। बीच-बीच में 21 दिवसीय अनुवाद प्रशिक्षण कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं, जिसमें केंद्रीय अनुवाद ब्यूरो के विद्वान विशेषज्ञों की निगरानी में कार्मिकों को प्रशिक्षित कर राजभाषा कार्यान्वयन के लिए सक्षम बनाया जाता है।
राजभाषा कार्यान्वयन के माहौल को अनुकूल बनाने हेतु सुविधानुसार राष्ट्रीय वर्ग जैसे कि स्वतन्त्रता दिवस, गणतंत्र दिवस एवं कोल इंडिया तथा एमसीएल के स्थापना दिवस के अवसर पर हिन्दी हास्य कवि सम्मेलन का आयोजन किया जाता है |
एमसीएल संबलपुर नगर स्थित केंद्रीय सरकार के कार्यालयों, उपक्रमों एवं बैंकों के बीच उच्चस्तरीय कार्यालय होने के नाते संबलपुर नगर की राजभाषा कार्यान्वयन समिति का संयोजन भी करती है | इसी क्रम में सरकार की राजभाषा नीति के अनुसार वर्ष में 02 छमाही बैठक क्रमशः जून एवं नवंबर महीने में आयोजित की जाती है |
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