6 ॰ कारगिल की घाटी :: विमला भण्डारी कुछ दिन पूर्व मुझे डॉ॰ विमला भण्डारी के किशोर उपन्यास “ कारगिल की घाटी ” की पांडुलिपि को पढ़ने का अवसर प्राप्त हुआ। इस उपन्यास में उदयपुर के स्कूली बच्चों की टीम का अपने अध्यापकों के साथ कारगिल की घाटी में स्वतंत्रता दिवस मनाने के लिए जाने को सम्पूर्ण यात्रा का अत्यंत ही सुंदर वर्णन है। एक विस्तृत कैनवास वाले इस उपन्यास को लेखिका ने सोलह अध्या यों में समेटा हैं , जिसमें स्कूल के खाली पीरियड में बच्चों की उच्छृंखलता से लेकर उदयपुर से कुछ स्कूलों से चयनित बच्चों की टीम तथा उनका नेतृत्व करने वाले टीम मैनेजर अध्यापकों का उदयपुर से जम्मू तक की रेलयात्रा , फिर बस से सुरंग , कश्मीर , श्रीनगर , जोजिला पाइंट , कारगिल घाटी , बटालिका में स्वतंत्रता दिवस समारोह में उनकी उपस्थिति दर्ज कराने के साथ-साथ द्रास के शहीद स्मारक , सोनमर्ग की रिवर-राफ्टिंग व हाउस-बोट का आनंद , घर वापसी व वार्षिकोत्सव में उन बच्चों द्वारा अपने यात्रा-संस्मरण सुनाने तक एक बहुत बड़े कैनवास पर लेखिका ने अपनी कलमरूपी तूलिका से बच्चों के मन में देश-प्रेम , साहस व सैनिकों की जांबाजी प...
उनका गाँव और पास में बहने वाली नदी मानो उनके प्रेम का एक सांकेतिक स्वरूप हो,सारी दुनिया का प्राकृतिक वैभव उनके लिए एक विशाल कैनवास बन गया हो। उनके अनुसार साठ साल से कलम रूपी तूलिका से कैनवास का एक छोटा कोना भी अभी तक नहीं भरा गया। प्राकृतिक सुंदरता की नैसर्गिक शोभा की सजीव प्रकृति से परिपूर्ण परिवेश उनके हृदय को अस्थिर करता था और उन्हें सांथाली भाषा से प्रेम हो गया। उन्हें आदिवासियों के जीवन से भी प्रेम हो गया। उस प्रेम से उनके खुले हृदय से गाए गए गीतों में प्राकृतिक माधुर्य भर दिया।